12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments इंसान चेतन आत्मोवाच 80 :-इन्सान बना वही, लिया जिसने खुद को पहचान Lफूंक-फूंककर हर कदम चले, मनः दाग से बचे चरित्रवान LLचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments श्रेष्ठ साहित्य चेतन आत्मोवाच 79 :-श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु, दूध सम देता है शक्ति l ज्ञानी की बात छोड़ो, मनः मुर्ख भी करने लगता है भक्ति lचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments भेद चेतन आत्मोवाच 78 :-नहीं रहता माँ, बहन, बेटी पत्नी का भेद वहां lमदिरा का चलता है मनः दौर खुले आम जहाँ llचेतन कौशल "नूरपुरी"
12. दिसम्बर 2024 / 0 Comments मानसिक विकार चेतन आत्मोवाच 77 :-काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार lइधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार llचेतन कौशल "नूरपुरी"