मानवता सेवा की गतिविधियाँ

श्रेणी: चेतन विचार (page 13 of 43)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
Read More

आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
Read More

अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
Read More

व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
Read More

प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
Read More

उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
Read More

मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
Read More

प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
Read More

जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
Read More

जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
Read More

मनुष्य को

Author Image
# मनुष्य को अब अपनी संकीर्णता की गलियों को अवश्य ही छोड़ना होगा, इसके बिना वह खुले विशाल आसमान में खग भांति न तो स्वच्छंद विचरण कर सकता है और न ही वह उसका कभी भरपूर आनन्द ले सकता है।* 

8

खुला दिमाग

Author Image
# खुले आसमान में विचरण करने वाले खग की तरह खुला दिमाग ही जान सकता है कि आसमान कितना बड़ा है, वह मेढक क्या जानेगा जो कुएं में रहता है और मात्र कुएं को ही सारी दुनियां समझता है।*

chetan kaushal "nurpuri*

मान-मर्यादा

Author Image
मान-मर्यादा का अर्थ है दूसरों का सम्मान करना और स्वयं आत्म संयम में रहना। अगर युगों से प्रकृति धरती, सूर्य, चांद और सितारे अपनी-अपनी मान-मर्यादा की निरंतर पालना करने मे सक्षम रहे हैं तो व्यक्ति, परिवार और विश्व क्यों नहीं? 

अभिव्यिक्ति

Author Image
# जब-जब मनुष्य द्वारा अभिव्यिक्ति की मनमानी परिभाषा व्यक्त हुई है, तब-तब उसकी मान-मर्यादा भी नष्ट हुई है। इसलिए अभिव्यिक्ति मान-मर्यादा में ही अच्छी लगती है।* 

वह कार्य जो

Author Image
# वह कार्य जो स्वयं से न हो, मगर उसेे कोई दूसरा सहजता से करने वाला हो, तब उसे उसके कार्य में बाधक भी नहीं बनना चाहिए। बाधा डालने से परिवार, समाज और राष्ट्र का विकास प्रभावित होता है।* 


1 11 12 13 14 15 43