# भारतीय समाज को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि भारत जाति, धर्म के नाम पर आपसी फूट के कारण सदियों तक पराधीन रहा था, इसलिए वह अब आसामाजिक तत्वों की आंतरिक या बाह्य किसी भी प्रकार के षड्यंत्र का कभी और शिकार नहीं होगा।*
# समाज की आपसी फूट के ही कारण राष्ट्र के आसामाजिक तत्वों को वह समय मिल जाता है जिससे वे समाज एवं राष्ट्र विरुद्ध किसी भी प्रकार की आंतरिक या बाह्य किसी चिंगारी को धधकती आग में परिणत कर देते हैं, परिणाम स्वरूप देश और समाज को जान माल की भारी क्षति का सामना करना पड़ता है।*
# उस देश की सीमाएं स्वयं ही कमजोर हो जाती हैं, जिसका समाज अपनी छोटी-छोटी बातों के लिए आपस में लड़ता-झगड़ता रहता है। इसलिए लड़िये मत। आपसी मुद्दों को मिलबैठकर सर्व सहमति से सुलझाने का प्रयास करो।*