मानवता सेवा की गतिविधियाँ

श्रेणी: कवितायें (page 9 of 20)

सर्वोत्तम वरदान

अनमोल वचन :-# अच्छा स्वास्थ्य एवंम अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान है l *
Read More

आचरण शुद्धता

अनमोल वचन :-# आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति को प्रखर बनाती है l*
Read More

अनीति मार्ग

अनमोल वचन :-# अनीति के रास्ते पर चलने वाले का बीच राह में ही पतन हो जाता है l*
Read More

व्यक्ति परिचय

अनमोल वचन :-# दो चीजें आपका परिचय कराती हैं : आपका धैर्य, जब आपके पास कुछ भी न हो और...
Read More

प्रभु की समीपता

अनमोल वचन :-# धर्यता और विनम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है l*
Read More

उच्च विचार

अनमोल वचन :-# दिनरात अपने मस्तिष्क को उच्चकोटि के विचारों से भरो जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा...
Read More

मुस्कराना

अनमोल वचन :-# मुस्कराना, संतुष्टता की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो l*
Read More

प्रभु कृपा

अनमोल वचन :-# सच्चाई, सात्विकता और सरलता के बिना भगवान् की कृपा कदापि प्राप्त नहीं की जा सकती l*
Read More

जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
Read More

जीवन महत्व

अनमोल वचन :-# आप अपने जीवन का महत्व समझकर चलो तो दूसरे भी महत्व देंगे l*
Read More

सार्थक दीपावली

Author Image
26 अक्तूबर 2008 मातृवंदना

नगर देखो! सबने दीप जलाए हैं द्वार-द्वार पर,
घर आने की तेरी ख़ुशी में मेरे राम!
तुम आओगे कब? मेरे मन मंदिर,
अँधेरा मिटाने मेरे राम!
आशा और तृष्णा ने घेरा है मुझको,
स्वार्थ और घृणा ने दबोचा है मुझको,
सीता को मुक्ति दिलाने वाले राम!
विकारों की पाश काटने वाले राम !
दीप बनकर मैं जलना चाहूँ,
दीप तो तुम्हीं प्रकाशित करोगे मेरे राम!
अँधेरा खुद व खुद दूर हो जाएगा,
हृदय दीप जला दो मेरे राम !
सार्थक दीपावली हो मेरे मन की,
घर-घर ऐसे दीप जलें मेरे राम!
रहे न कोई अँधेरे में संगी-साथी दुनियां में,
सबके हो तुम उजागर मेरे राम!


चेतन कौशल "नूरपुरी"

राजभाषा हिंदी

Author Image
5 अक्तूबर 2008 कश्मीर टाइम्स

मेरे मन भाया तेरा विचार, भाषा हिंदी,
इसकी लिपि बनी भाषा उसकी, भाषा हिंदी,
हिन्द की संम्पर्क भाषा, भाषा हिंदी,
फोन कन्याकुमारी से पहुंचता कश्मीर, भाषा हिंदी,
फैक्स गुजरात से पहुंचती आसाम, भाषा हिंदी,
हिन्द की संम्पर्क भाषा, भाषा हिंदी,
हर व्यक्ति की सांस, हिन्द की धड़कन, भाषा हिंदी,
हर स्थान की बोली, हिन्द की पहचान, भाषा हिंदी,
हिन्द की संम्पर्क भाषा, भाषा हिंदी,
हम बोल, लिख सकते, भाषा हिंदी,
हम सीखकर कार्य कर सकते, भाषा हिंदी,
हिन्द की संम्पर्क भाषा, भाषा हिंदी,
हम मनाएंगे नहीं पखवाड़े, सब जानते, भाषा हिंदी,
सरकारी, गैरसरकारी कार्य करेंगे पूरा साल, भाषा हिंदी,
हिन्द की संम्पर्क भाषा, भाषा हिंदी,



चेतन कौशल "नूरपुरी"

शहरी नाले की व्यथा

Author Image
27 जुलाई 2008 कश्मीर टाइम्स

अपना भी स्वच्छ जल था मेरा
सदा स्वच्छ ही नीर बहता था
हर जगह उपयोगी पानी चाहने बालो
मुझमें गंदगी बहाओ न
मुझे और दूषित बनाओ न
तुम सुबहशाम आकर यहीं नहाते थे
धोकर कपड़े साहिल पर ही सुखाते थे
बना शिकार मच्छली चाव से खाने बालो
मुझमें गंदगी बहाओ न
मुझे और दूषित बनाओ न
मेरे जल संग जल गंदा गंदगी बहाने बालो!
मुझसे लिफाफे पालीथिन बोतलें प्लास्टिक नहीं गलाए जाते
गड्ढे नालियों में रोग किटाणुओं को बढा़ने बालो
मुझमें गंदगी बहाओ न
मुझे और दूषित बनाओ न
तुम चाहो तो स्वच्छ उपयोगी बनाए रखो मुझको
दूसरों की रक्षा करो और सुरक्षित रखो खुद को
कोई गंदगी फेैलाए न परदोष निहारने बालो
मुझमें गंदगी बहाओ न
मुझे और दूषित बनाओ न



चेतन कौशल "नूरपुरी"

चिंगारी

Author Image
मई 2008 मातृवंदना

रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
अरमान अपना कर सम्पन्न
पांएगे लक्ष्य जो सामने खड़ा उत्पन्न
कार्य बना है आज प्रतिदवंदी सामने
जय चाहता है प्रभुत्व अपने
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
आगे बढ़ना है हमने साहस के बहानेे
मात्र फूल शीश अर्पित करना हम हैं जाने
यहां लालसा तन मन धन कोई न मायने
निर्णय बुद्धि का हम सब माने
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
जब तक प्रपंचात्मक हमने बनाई सृष्टि
नहीं कर सकता यहां कोई तृष्णातुष्टि
ऐसा यहां स्रष्टा का न कभी रहा है काल
मुक्त कर लेंगे खुद को काटना है जंजाल
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
है यह चिंगारी नहीं आग
आग ही नहीं महाकाल व्याल
विध्वंस करती है नीचता का काम
समूल नष्ट करती राख बनाती है तमाम
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम


चेतन कौशल "नूरपुरी"

प्रभा प्रभात

Author Image
29 फरवरी 2008 दैनिक जागरण

पशु धन से हो श्रृंगार घरघर का
पौष्टिकता से लहलहाएं सब खेत देश के
दूध दही घी से बलवान बने हर बच्चा घरघर का
तेजस्वी कहलाएं नौजवान देश के
घरघर पहुंचे फिर ऐसी शिक्षा
मांगे न कोई किसी से भिक्षा
हर हाथ रोजगाार दिलाए शिक्षा
बयार तो कोई लाल लाए शिक्षा
खुद समझे जो औरों को समझाए
सत्यअसत्य में भेद कर पाएं
ऐसे फिर किसी से न हो नादानी
कहना पड़े कि फुलफल रही बेईमानी
गुणों ही की अब आगे हो पूजा
मन कर्म वचन से न कोई कार्य हो दूजा
चापलूसों के सिर पर बरसें डंडे
पगपग अरमान भ्रष्टाचारी पड़ें ठंडे
देश विदेश में जनजन को पड़े कहना
बल बुद्धि विद्या और गुण भारत का है गहना



चेतन कौशल "नूरपुरी"
1 7 8 9 10 11 20