1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments ठोकर चेतन आत्मोवाच 20 :-ठोकर बड़ी होती है, बड़ा तू नहीं इंसान lजब तुझको ठोकर लगी , तब होश आई है इन्सान ll चेतन कौशल "नूरपुरी"
1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments धीरे-धीरे चेतन आत्मोवाच 19 :-खाना है तो ठंडा करके होंठ नाजुक जलते हैं lकाम अच्छा होता धीरे-धीरे, मनः शहद के भी छत्ते भरते हैं ll चेतन कौशल "नूरपुरी"
1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments जगत की रीत चेतन आत्मोवाच 18 :-पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत lझूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll चेतन कौशल "नूरपुरी"
1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments घर चेतन आत्मोवाच 17 :-ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें lयहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें llचेतन कौशल "नूरपुरी"
1. दिसम्बर 2024 / 0 Comments मुसीबत चेतन आत्मोवाच 16 :-मुसीबत की कोई मजाल नहीं, शक्ति तो तेरी भुजाओं में है l चाहे तो उनका मुकाबला कर, मनः हिम्मत तो तेरे दिल में है ll चेतन कौशल "नूरपुरी"