# मां-बाप बच्चों को पढ़ाने में अपनी आयु भर की कमाई खर्च कर देते हैं। ब्रिटिश साम्राज्य हित के पोषित वर्तमान शिक्षा केंद्रों में जब कभी उन्हें गलती से कहीं नौकरी मिल भी जाती है तो वहां उनके द्वारा कड़ी मेहनत करने के बदले में सात-आठ हजार प्रति मास मात्र वेतन मिलता है। उससे उनका अपना ही खर्च पूरा नहीं होता है। वे उससे अपने बच्चों का भरण-पोषण करेंगे या अपने मां-बाप का सहारा बनेंगे? वे क्या करेंगे?*
चेतन कौशल "नूरपुरी"