दैनिक जागरण 25 मई 2006
विद्या, संस्कृति, साहित्य सृजन करने का,
जीवन चुनौतियों का सामना करने का,
त्याग, भक्ति, सेवा, बलिदान करने का,
दिव्य शक्तियों का, सामर्थ्य का, योग्यता का,
बोध करवाता है, विद्यालय कर्तव्य परायणता का,
निष्पक्ष प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन करने वालो!
उच्च जीवन, परिवार, समाज का पोषण करने वालो!
ज्ञान-स्रोत हितैषी हैं वैदिक विद्या-मंदिर, उन्हें सक्रिय होने दो,
अखण्ड जोत जलाते हैं, उन्हें जोत से जोत जलाने दो,
चेतन कौशल "नूरपुरी"