5. मार्च 2016 / 0 Comments अभिव्यिक्ति # जब-जब मनुष्य द्वारा अभिव्यिक्ति की मनमानी परिभाषा व्यक्त हुई है, तब-तब उसकी मान-मर्यादा भी नष्ट हुई है। इसलिए अभिव्यिक्ति मान-मर्यादा में ही अच्छी लगती है।*