Author Image
# समाज की आपसी फूट के ही कारण राष्ट्र के आसामाजिक तत्वों को वह समय मिल जाता है जिससे वे समाज एवं राष्ट्र विरुद्ध किसी भी प्रकार की आंतरिक या बाह्य किसी चिंगारी को धधकती आग में परिणत कर देते हैं, परिणाम स्वरूप देश और समाज को जान माल की भारी क्षति का सामना करना पड़ता है।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"