दैनिक जागरण 15 मई 2007
वीरों की तू पोषणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी
देखा है मैंने तुझे सबके साथ
पर वे सब तुझे नहीं लगाते हाथ
अत्याचारी की तू हत्यारी
तू है कविता कवि की प्यारी
जिसने किया जब नीचता को सलाम
तूने किया उसका काम तमाम
दुराचारी की तू संहारणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी
चेतन कौशल "नूरपुरी"