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दैनिक जागरण 15 फरवरी 2007

आत्म बोध प्राप्त करने को
आत्म चिन्तन करना अच्छा
आत्म ज्ञान हो जाए
तो कहना है क्या
आत्म दर्शन करने को
आत्मावलोकन करना अच्छा
आत्म साक्षात्कार हो जाए
तो कहना है क्या
आत्म विश्वास बढ़ाने को
कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेना अच्छा
अपनी पहचान बन जाए
तो कहना है क्या
संसार एक परिवार निहारने को
आध्यात्मिक दृष्टि अपना लेना अच्छा
कोई सद्गुरु बन जाए
तो कहना है क्या


चेतन कौशल "नूरपुरी"