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# मनुष्य द्वारा गधे पर डंडे बरसा कर, उस पर कहीं से भी बोझा लाद कर, ढोया तो जा सकता है पर वह मनुष्य भी मनुष्य नहीं, जो किसी मनुष्य के अधीन भय एवं दबाव में रह कर, उसका मनमाना परिवार, समाज और राष्ट्र विरुद्ध कार्य करे। क्या कभी कोई मनुष्य स्वयं को किसी का गधा बनना पसंद कर सकता है?*

चेतन कौशल "नूरपुरी"