दैनिक जागरण 3 मई 2007
मातृ भूमि तुझको
करूं मैं क्या अर्पण
साहस नहीं मुझमें
बिन देरी करूं मैं आत्म समर्पण
बस कार्य के सिवाय
फल की ओर न हो मेरा ध्यान
सेवा की हो डगर अपनी
और नित हो तुझे कोटि कोटि मेरा प्रणाम
चेतन कौशल "नूरपुरी"
मानवता सेवा की गतिविधियाँ