कश्मीर टाइम्स 23 अगस्त 2009
जब निजहित तुम्हारा होगा देशहित से ऊँचा,
और निज सुख तुम्हें दिखने लगेगा महान,
तब क्यों कोई देशहित की बात करेगा?
क्यों देशहित में कोई करेगा काम?
जब देश नहीं रहेगा समृद्धि-सुरक्षा का अधिकारी,
तब तुम क्या कर लोगे? निजहित में,
जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,
क्या जागेगा फिर कोई चाणक्य प्यारा?
गाँठ चोटी खोलकर भरेगा हुंकार,
क्या ढूंढेगा वह कोई चन्द्रगुप्त न्यारा?
और नेकदिल जननायक करेगा तैयार,
जब वह बजाएगा ईंट से ईंट तुम्हारी,
तब तुम क्या कर लोगे? निज सुख में,
जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,
चेतन कौशल "नूरपुरी"