दैनिक जागरण 13 जून 2007
पल भर नहीं जो कर्महीन रहता
कुछ न कुछ करता रहता है
रखता अज्ञान शोषण अत्याचार पर कड़ी नजर
दहकते अंगारों पर बे खबर चलता है
राह में मुसीबतें आएं चाहे जितनी
वह नित आगे बढ़ता जाता है
मौत भी सामने क्यों न आए
वह खुशी से निज कण्ठ लगाता है
क्रांति कभी आ नहीं सकती
है यह तो उसमें दम नहीं
चाहे क्रांति होती है बलवान बहुत
पर देखा क्रांतिकारी भी कुछ कम नहीं
चेतन कौशल "नूरपुरी"