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आलेख – धर्म अध्यात्म संस्कृति मातृवन्दना अक्तूबर 2019

वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, और शिशिर विभिन्न ऋतुओं का देश है l वर्षा ऋतु के अंत में जैसे ही शरद ऋतु का आरम्भ होता है उसके साथ ही नवरात्रि – दुर्गा पूजन और रामलीला मंचन भी एक साथ आरम्भ हो जाते हैं l दुर्गा पूजन एवं राम लीला मंचन का नववें दिन समाप्त हो जाने के पश्चात् दसवें दिन विजय दसवीं को दशहरा मनाया जाता है l भारतीय परम्परा के अनुसार विजय दसवीं का पर्व लंकापति रावण (बुराई) पर भगवान श्रीराम (अच्छाई) के द्वारा विजय का प्रतीक माना जाता है l यह पर्व श्रीराम का रावण पर विजय पाने के पश्चात् अयोध्या आगमन की ख़ुशी में उनका हर घर में दीपमाला जलाकर स्वागत किया जाता है l

धर्म परायण, ईश्वर भक्त और अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव जागरूक रहने वाला मनुष्य अपने जीवन में दीपावली को सार्थक कर सकता है l


सार्थक दीपावली
नगर देखो ! सबने दीप जलाये हैं
द्वार-द्वार पर, घर आने की तेरी ख़ुशी में मेरे राम !
अँधेरा मिटाने, मेरे राम !
आशा और तृष्णा ने घेरा है मुझको]
स्वार्थ और घृणा ने दबोचा है मुझको,
सीता को मुक्ति दिलाने वाले राम !
विकारों की पाश काटने वाले राम !
दीप बनकर मैं जलना चाहुँ,
दीप तो तुम प्रकाशित करोगे, मेरे राम !
अँधेरा खुद व खुद दूर हो जायेगा,
हृदय दीप जला दो मेरे राम !
सार्थक दीपावली हो मेरे मन की,
घर-घर ऐसे दीप जलें, मेरे राम !
रहे न कोई अँधेरे में संगी – साथी,
दुनियां में सबके हो तुम उजागर, मेरे राम !


चेतन कौशल "नूरपुरी"