मई 2008 मातृवंदना
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
अरमान अपना कर सम्पन्न
पांएगे लक्ष्य जो सामने खड़ा उत्पन्न
कार्य बना है आज प्रतिदवंदी सामने
जय चाहता है प्रभुत्व अपने
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
आगे बढ़ना है हमने साहस के बहानेे
मात्र फूल शीश अर्पित करना हम हैं जाने
यहां लालसा तन मन धन कोई न मायने
निर्णय बुद्धि का हम सब माने
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
जब तक प्रपंचात्मक हमने बनाई सृष्टि
नहीं कर सकता यहां कोई तृष्णातुष्टि
ऐसा यहां स्रष्टा का न कभी रहा है काल
मुक्त कर लेंगे खुद को काटना है जंजाल
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
है यह चिंगारी नहीं आग
आग ही नहीं महाकाल व्याल
विध्वंस करती है नीचता का काम
समूल नष्ट करती राख बनाती है तमाम
रुकेंगे नहीं बिना किए निस्वार्थ काम
निश्चय है अपना करना है निस्वार्थ काम
चेतन कौशल "नूरपुरी"