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मातृवंदना जनवरी 2010 

दुखिया का दुःख मिटाने को,
दुःख से राहत दिलाने को,
आशा का दीपक बन हम जगमगाएँ,
छब्बीस जनवरी है आज,
आओ! खुशी का दिन मनाएं
युवावर्ग में हो नवजीवन का संचार,
दूर भागे सबकी निराशाओं का अंधकार,
काँटों में से फूल हम चुनचुन कर लाएँ,
छब्बीस जनवरी है आज,
आओ! खुशी का दिन मनाएं
बंद हों यहां अब स्वार्थ लालच के धंधे,
उबरने नहीं देते इच्छाओं के फंदे,
खाता निस्वार्थ सेवा का खुलवाएं,
छब्बीस जनवरी है आज,
आओ! खुशी का दिन मनाएं
खुशियां बांटें, गणतंत्र मनाएं,
दलितों को प्यार से गले लगाएं,
खुद जियें और दूसरों को भी जीने दें,
छब्बीस जनवरी है आज,
आओ! खुशी का दिन मनाएं


चेतन कौशल "नूरपुरी"