18. फ़रवरी 2016 जयशंकर प्रसाद विचारकों के कथन :-पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं, शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद