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चेतन आत्मोवाच 70 :-

गिरती बूंद नदी में बह जाती है संग जलधार l
जीना-मरना खेल है, मनः नहीं जीत, यहाँ न किसी की हार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"