28. नवम्बर 2024 / 0 Comments दुःख-सुख चेतन आत्मोवाच 13 :-सुगम होती दुर्गम राह, तू राही क्यों घबराता है l दुःख-सुख हैं दोनों साथी, मनः दुःख ही सुख दिखलाता है llचेतन कौशल "नूरपुरी"