5. मार्च 2016 / 0 Comments देश की सीमाएं # उस देश की सीमाएं स्वयं ही कमजोर हो जाती हैं, जिसका समाज अपनी छोटी-छोटी बातों के लिए आपस में लड़ता-झगड़ता रहता है। इसलिए लड़िये मत। आपसी मुद्दों को मिलबैठकर सर्व सहमति से सुलझाने का प्रयास करो।* चेतन कौशल "नूरपुरी"