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चेतन आत्मोवाच 19 :-

खाना है तो ठंडा करके होंठ नाजुक जलते हैं l
काम अच्छा होता धीरे-धीरे, मनः शहद के भी छत्ते भरते हैं ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"