दैनिक जागरण 4 अप्रैल 2007
आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने
शुष्क मौसम से पाई मुक्ति धौलाधार ने
नाले झरने नदियां सब फिर बहने लगे हैं
ताल बावडि़यां कूप जल से भरने लगे हैं
धरती खेत खलिहानों को मिलने लगा है पानी
रिमझिम रिमझिम बरसने लगा है पानी
बर्फ से किया है फिर श्रृंगार धौलाधार ने
आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने
चेतन कौशल "नूरपुरी"