पर्यावरण चेतना – 7
हिमाचल सरकार पालीथीन पर प्रतिबंध लगा चुकी है l जम्मू कश्मीर सरकार ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया है l इन प्रांतीय सरकारों का यह कार्य प्रयास चहुँ ओर प्रशंसनीय रहा है l अब इन प्रान्तों के शहर व गाँव की गलियों व नालियों पालीथीन लिफ़ाफ़े तो कम अवश्य हुए हैं पर वह अभी समाप्त नहीं हुए हैं l उन पर मात्र प्रतिबंध लगा है l सरकार द्वारा लगाया गया यह प्रतिबन्ध, पूर्ण प्रतिबन्ध सार्थक तब होगा जब पालीथीन परिवार के अन्य हानिकारक उत्पादों का जन साधारण द्वारा विरोध किया जायेगा l पालीथीन का उत्पादन एवम प्रयोग होना बंद हो जायेगा l
देखने में आ रहा है कि अनाज, दालें, तिलहन, दूध, दही, पनीर, मक्खन, घी, सब्जी, टाफी, तथा श्रृंगार का सामान मोमी पारदर्शी लिफाफों, प्लास्टिक की बोतलों में सिले सिलाये वस्त्र प्रिंटिंग मोमी थैलों और डिब्बों में पैक करके बाजार में ग्राहकों को बेचे जाते हैं जो पर्यावरण हित में नहीं है l
गंदे पालीथीन, मोमी पारदर्शी लिफ़ाफों को खाकर पशु मर जाते हैं l नालियां गंदगी से अवरुद्ध हो जाती हैं l स्वाइन फ्लू जैसे भयानक जानलेवा घातक रोग पैदा होते हैं l गंदा पानी रिसकर पेयजल स्रोतों की उपयोगिता नष्ट करता है l पालीथीन, मोमी लिफ़ाफों से पेयजल स्रोत अवरुद्ध हो जाते हैं l वे अपना या तो जल प्रवाह की दिशा बदल लेते हैं, या नष्ट हो जाते हैं l
पालीथीन, मोमी लिफ़ाफे लम्बे समय तक नष्ट नहीं होते हैं l उनसे खेतों की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती है l खेत बंजर हो जाते हैं l बरसात के दिनों में जगह-जगह पर गंदे पालीथीन, मोमी पारदर्शी लिफ़ाफों से गंदगी फ़ैल जाने से सफाई कर पाना अति कठिन हो जाता है l इसका यह अर्थ हुआ कि हम सफाई पससंड नहीं करते हैं l हम दूसरों का सफाई का कार्यभार कम करने की अपेक्षा उसे और अधिक बढ़ा देते हैं l
बात स्पष्ट है कि पालीथीन, मोमी लिफ़ाफे, प्लास्टिक की बोतलें व पैकिंग का सामान बनाने की वर्तमान वैज्ञानिक तकनीक पर्यावरण विरुद्ध है l वह पर्यावरण मित्र न होकर, शत्रु बन चुकी है l वैज्ञानिकों के द्वारा अब नई एक ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जो पर्यावरण की अविलम्ब निर्विघ्न सुरक्षा कर सके जिससे पर्यावरण विरोधी उत्पादों की वृद्धि न हो बल्कि पर्यावरण स्वच्छ एवं संतुलित बन सके l
पर्यावरण में बढ़ता हुआ तापमान और निरंतर पिघलते हुए ग्लेशियर इस बात का प्रमाण हैं कि हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है l हमें भविष्य में कल-कल करती नदिया, झर-झर करते झरने, मीठे-मीठे जल के चश्मे और मनमोहक झीलें कहीं दिखाई नहीं देंगी l शुद्ध पेयजल स्रोत सुरक्षित न रहने के कारण हम रोग मुक्त एवं सुरक्षित नहीं रहेंगे, ऐसा जानते हुए भी हम पर्यावरण विरुद्ध कार्य कर रहे हैं l
सावधान ! हमें पर्यावरण विरुद्ध किये जाने वाले ऐसे सभी कार्य तत्काल बंद कर देने होंगे और एक ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जिससे मानव जाति में पर्यावरण प्रेम जागृत हो l वह निजहित की चार दीवारी से बाहर निकलकर जनहित एवं समाज कल्याण के कार्य करे l उससे किसी जानमाल की हानि न हो l हर तरफ हर कोई सुख शांति से जी सके l
सरकार द्वारा पर्यावरण सुरक्षा बनाये रखने हेतु ऐसा विधेयक पारित किया जाना चाहिए जिससे उत्पादकों को विशेष निर्देश दिया गया हो कि वे अपने यहाँ उत्पादित उपयोगी पालीथीन, मोमी लिफ़ाफे, प्लास्टिक की बोतलें व पैकिंग के सामान पर वैधानिक चेतावनी लिखने के साथ-साथ उन्हें अनुपयोगी हो जाने पर, जल्द नष्ट करने या रिसाईकलिंग करने की विधि भी सुनिश्चित करें जिससे पर्यावरण असंतुलन और प्रदूषण रोकने में सरकार को जन साधारण का सहयोग मिल सके l
अतः पालीथीन तो अभी प्रतिबंधित हुआ है l उस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना शेष है l आइये ! हम सब वैज्ञानिक, उत्पादक, भंडार पाल, व्यापारी, दुकानदार, ग्राहक और गृहणिया सरकार द्वारा पालीथीन विरुद्ध लगाये गए प्रतिबंध को पूर्ण प्रतिबंध में परिणत करने हेतु रचनात्मक एवं सकारात्मक कार्य करें और उन सब वस्तुओं को सदा के भूल जायें जिनसे पर्यावरण असंतुलन और प्रदूषण बढ़ता और फैलता है l इन्हें भूल जाने में ही हमारी सबकी समझदारी और भलाई है l
प्रकाशित 12 जुलाई 2009 कश्मीर टाइम्स