आज तक हमने बकरों की बलि दिया जाना सुना था पर यह नहीं सुना था कि कहीं बस की सवारियों को भी बलि का बकरा बनाया जाता है। जी हां, ऐसा अब खुले आम हो रहा है। अगर हम अन्य स्थानों को छोड़ मात्र जम्मू से लखनपुर तक की बात करें तो राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बने ढाबों, भोजनालयों और चाय की दुकानों को कसाई घरों के रूप में देख सकते हैं। वहां प्रति चपाती पांच रुपए के साथ नाम मात्र की फराई दाल दस रुपए में और चाय का प्रति कप पांच रुपए के साथ एक कचौरी तीन रुपए के हिसाब से धड़ल्ले से बेची जाती है। वहां कहीं मुल्य सूचि दिखाई नहीं देती है। शायद उन्हें प्रशासन की ओर से पूछने वाला कोई नहीं है। क्या यह दुकानदार सरकारी मूल्य सूचि के अंतर्गत निर्धारित मूल्यानुसार सामान बेचते हैं? संबंधित विभाग पर्यटक वर्ग अथवा सवारी हित की अनदेखी क्यों कर रहा है?
राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारों पर ढाबों और चाय की दुकानों पर लम्बे रूट की बसें रुकती हैं। वहां पर चालक और परिचालकों को तो खाने-पीने के लिए मूल्यविहीन बढ़िया और उनका मनचाहा खाना-पीना मिल जाता है, मानों जमाई राजा अपने ससुराल में पधारे हों। पर बस की सवारियों को उनकी सेवा के बदले में दुकानदारों की मर्जी का शिकार होना पड़ता है। अन्तर मात्र इतना होता है कि कोई कटने वाला बकरा तो गर्दन से कटता है पर सवारियों की जेब दुकानदारों द्वारा बढ़ाई गई अपनी मंहगाई की तेज धार छुरी से काटी जाती है। कई बार सवारियों के पास गंतव्य तक पहुंचने के मात्र सीमित पैसे होते हैं। अगर रास्ते में भूख-प्यास लगने पर उन्हें कुछ खाना-पीना पड़ जाए तो वह खाने-पीने की वस्तुएं खरीद कर न तो कुछ खा सकती हैं और न पी सकती हैं। क्या लोकतन्त्र में उन्हें जीने का भी अधिकार शेष नहीं बचा है?
यह पर्यटक एवं सवारी वर्ग भी तो अपने ही समाज का एक अंग है जो हमारे साथ कहीं रहता है। स्वयं समाज सेवी और इससे संबंधित सरकारी संस्थाओं को प्रशासन के साथ इस ओर विशेष ध्यान देना होगा और सहयोग भी देना पड़ेगा। उसके हित में उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग तथा बस अड्डों पर खाने-पीने और अन्य आवश्यक सामान खरीदने हेतु उचित मूल्य की दुकानों व ठहरने या विश्राम करने के लिए सुख-सुविधा सम्पन्न सस्ती सरायों की व्यवस्था करनी होगी ताकि स्थानीय दुकानदारों द्वारा सवारियों और प्रयटकों से मनमाना मूल्य न वसूला जाए और कोई किसी के निहित स्वार्थ के लिए कभी बलि का बकरा न बन सके।
13 जुलाई 2008 कश्मीर टाइम्स