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# जिसने अहंकार को अपने वश में कर लिया, वह मनुष्य नहीं देव है। देव प्रवृत्ति प्रबल हो जाने से मनुष्य की दानव प्रवृत्ति निर्बल हो जाती है।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"