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 # देव या दानव न तो आसमान से नीचे धरती पर उतरते हैं और न ही वे धरती चीरकर बाहर निकलते हैं। मन, कर्म और वचन सेे ही मनुष्य देव या दानव बनता है।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"