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वासुधैव कुटुम्बकम् या बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय का अर्थ युवावर्ग तभी समझ पाएगा, जब उसकी दृश्टि घर-परिवार से ऊँची होकर समाज और विश्व को निहारने में सक्षम हो जाएगी।