चेतन विचार :
# जो बीत गया, भूतकाल बन गया, वह अपना नहीं रहा। जो आया ही नहीं, भविष्यकाल है, वह अभी अपना हुआ नहीं। जो अभी है, वर्तमानकाल है, यही अपना है, इसे सम्भालना है, सदुपयोग करना है, कुछ अच्छा करना है, क्या भरोसा अगले पल फिर सांस लेना मिले न मिले।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"