दैनिक जागरण 24 अप्रैल 2007
समय तो बहता जल है
वह बहता जाता गाता है
तू संभाल पलपल की करता चल
जीवन पलपल से बन पाता है
गोली छूटती है बन्दूक से
फिर कभी नहीं आती है हाथ
सकल दिवस जाता पलपल में
घड़ी भी नहीं देती है साथ
चेतन कौशल "नूरपुरी"
मानवता सेवा की गतिविधियाँ