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व्यक्तिगत और पारिवारिक सुरक्षा से बड़ी सामाजिक सुरक्षा है और सामाजिक सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र  की सुरक्षा है। अतएव देश  के भविष्य  हेतु हमारे युवाओं को कुछ मानदंड स्थापित करने होंगे जिनके लिए उन्हें निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना होगा
1  मानव समाज सदैव वीरों की पूजा करता है, कायरों की नहीं।
2 समाज में वीरों को उनके कार्य कौशल, तत्वज्ञान, पराक्रम और कर्तव्य  परायणता से जाना जाता है।
3  गीदड़ों के झुण्ड में शेर की दहाड़ अलग ही सुनाई देती है।
4  व्यक्ति, समाज, क्षे़त्र, राज्य, और राष्ट्र का अहित एवं अनिष्ट करने वाले भ्रमित, अहंकारी एवं स्वार्थी लोग क्रोध व हिंसा को जन्म देते हैं।
5  अगर समाज, क्षे़त्र, राज्य, और राष्ट्र  में मंहगाई, अभाव, जमा व मुनाफाखोरी और आर्थिक संकट-घोटाला के साथ-साथ अन्य समस्याएं पैदा हों तो समझो वहां अव्यवस्था, दुराचार, अनीति और अधर्म विद्यमान है।
6  स्पष्ट रूप से परिभाषित  किए हुए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनुशासित जनांदोलन के प्रयास से लोगों को अपने उद्देश्य  में सफलता अवश्य  मिलती है।
7  लोगों का शांत और मर्यादित सत्यग्रह सोए हुए प्रशासन को जगाने का अचूक रामबाण है।
8  इतिहास साक्षी है कि कर्फ्यू , आंसू गैस लाठी और गोली प्रहार से जनांदोलन कुचलने वाले स्वार्थी एवं अहंकारी शासको की सदा हार हुई है।
9  सामाजिक मान-मर्यादाओं की पालना करने से जीवन सुगंधित बनता है।
10  लोक परंपराओं का निर्वहन करने से कर्तव्य पालन होता है।
11  स्थानीय लोक सेवी संस्थाओं में भाग लेने से समाज सेवा करने का समय मिलता है।
12  तन, मन और धन से समाज की सेवा करने से प्रशंसकों और मित्रों की वृद्धि होती है।
13  कमजोर युवाओं से समाज कभी सुरक्षित नहीं रहता है।
राष्ट्रीय  सुरक्षा
14  क्षेत्र, भाषा , जाति, धर्म, रंग, लिंग, मत भेदभाव पूर्ण बातों को साम्प्रदायिक रंग देने वाला व्यक्ति या दल राष्ट्रीय  एकता, अखण्डता और सद्भावना का दुश्मन  होता है।
15 राष्ट्रीय  एकता एवं अखण्डता प्रदर्शित करने वाले नारों से जनता में देश प्रेम की उर्जा का संचार होता है।
16 राष्ट्रीय  सुख-समृद्धि की रक्षा हेतु समाज विरोधी अधर्म, दुराचार, असत्य और अन्याय के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने वाला प्रशासन सर्वहितकारी होता है।
17  बंद, चक्काजाम, और हड़ताल के आह्वान पर आवेश  में आकर यह कभी मत भूलो कि उपद्रव करने से जन साधारण, समाज, क्षेत्र, राज्य और राष्ट्र  की कितनी हानि होती है।
18  कर्मवीर अपने कर्म से, ज्ञानवीर ज्ञान से, रणवीर पराक्रम से और धर्मवीर कर्तव्य  पालन करके आसामाजिक तत्वों का मुंहतोड़ उत्तर देते हैं।
19  कठिन परिस्थितियों में भी वीर घबराते नहीं हैं बल्कि संगठित रहकर उनका डटकर सामना करते हैं।
20  सच्चे वीरों का गर्म खून और शीतल मस्तिष्क  सदैव सर्वहितकारी एवं धार्मिक कार्यो में सक्रिय और तत्पर रहता है।
21  राष्ट्रहित  में – सच्चे वीर रणक्षेत्र में अपना रण.कौशल दिखाते हुए दिग्विजयी होते हैं या फिर युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त करते हैं।
22  संयुक्त रूप से राष्ट्रीय  पर्व मनाने से राष्ट्र  की एकता एवं अखंडता प्रदर्शित होती है।
23  जनहित एवं सद्भावना से प्रेरित बातों के समक्ष अलगाव की भावना निष्प्राण  हो जाती है।
24  वही विवेकशील नौजवान अपने समाज, क्षे़त्र, राज्य, और राष्ट्र  को सुरक्षित रखते हैं जो स्वयं अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहते हैं।
25  वही युवा पीढ़ी राष्ट्र की रीढ़ है जो सुसंगठित, अनुशासित, चरित्रवान और कार्य कुशल है।
26  वास्तव में वीरों की परीक्षा रणक्षेत्र, ज्ञानक्षेत्र, कार्यक्षेत्र और धर्मक्षेत्र में होती है।
जनवरी 2014
मातृवन्दना