10. दिसम्बर 2024 / 0 Comments सम्मान भावना चेतन आत्मोवाच 48 :-लुटाया था अपना आप उसने तो तू उन्हें पूज रहा lक्यों पूजेगा, कौन तुझे ? मनः तू तो सबको लूट रहा llचेतन कौशल "नूरपुरी"