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चेतन आत्मोवाच 74 :-

सहारा होता है जो बेसहारों का, वह दर्द हर लेता है l
जहर नदी, नाले, झरनों का, मनः शांत समुद्र पी लेता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"