योग्य गुरु द्वारा दिया जाने वाला ज्ञान सुपात्र का प्रदान किया जाता है, कुपात्र को नहीं। सुपात्र उसका सदुपयोग करता है जबकि कुपात्र दुरुपयोग। वही विद्यार्थी गुरु का मान बढ़ाता है और स्वयं महान बनता है जो गुरु के निर्देशानुसार जन सेवा एवं जग कल्याण के कार्य करता है। 1 प्रकृति का अनुभव प्राप्त किए बिना व्यक्ति की अपनी आत्मा का भली प्रकार पोषण नहीं होता है। 2 व्यक्ति द्वारा सत्य जान लेने से असत्य की परिभाषा बदल जाती है। 3 आपसी झगडों व तनाव से परिवारों को हानि पहुंचती है जबकि दुश्मन को लाभ होता है। 4 पारिवारिक झगड़ों से समाज कमजोर होता हैं। 5 पारिवारिक मतभेदों को परिवार में ही समाप्त कर लेना बुद्धिमानी का कार्य है। 6 किसी परिवार का अपमानित किया हुआ तनाव ग्रस्त, क्षुब्ध व्यक्ति आने वाले समय में अपने या पराए विरुद्ध कुछ भी कर सकता है। 7 व्यक्ति, समाज, क्षेत्र, राज्य, और राष्ट्र का अहित एवं अनिष्ट करने वाले भ्रमित, उपद्रवी एवं स्वार्थी लोग क्रोध व हिंसा बढ़ाकर उग्रवाद को जन्म देते हैं। 8 क्षेत्र, भाषा, जाति, धर्म, रंग, लिंग, मत भेदभाव पूर्ण बातों को साम्प्रदायिक रंग देने वाला व्यक्ति राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और सद्भावना का दुश्मन होता है। 9 दुश्मन कभी कमजोर नहीं होता है। 10 अलगाव एवं अफवाहों का शिकार होने पर व्यक्ति, परिवार, समाज, क्षेत्र, राज्य, और राष्ट्र संकट ग्रस्त हो जाते हैं। 11 अगर समाज,क्षेत्र, राज्य, और राष्ट्र में मंहगाई, अभाव, जमा व मुनाफाखोरी और आर्थिक संकट-घोटाला के साथ-साथ अन्य समस्याएं पैदा हों तो समझो वहां अव्यवस्था, दुराचार, अनीति और अधर्म विद्यमान है। 12 इतिहास साक्षी है कि कपर्यु, आंसू गैस लाठी और गोली प्रहार से जनांदोलन कुचलने वालों को कभी सफलता प्राप्त नहीं हुई है। 13 कमजोर युवाओं से समाज कभी सुरक्षित नहीं रहता है। 14 वही विवेकशील नौजवान अपने समाज, क्षेत्र, राज्य, और राष्ट्र को सुरक्षित रखते हैं जो अपनी रक्षा-सुरक्षा आप करतेे हैं। 15 वासना, विकार, नशा, आलस्य, निद्रा और व्यभिचार में आसक्त नौजवानों का विनाश होना सुनिश्चित है। 16 नीति-धर्म का मर्म समझने वाले नौजवान के लिए अधर्म कभी बाधक नहीं होता है। 17 आत्म विश्वास से कार्य करने पर नौजवान को उसके कार्य में सफलता अवश्य मिलती है। 18 आवेश में आकर युवा बंद, चक्काजाम, और हड़ताल का आह्वान करके भूल जाते हैं कि इससे जन साधारण, समाज, क्षेत्र, राज्य और राष्ट्र की कितनी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 19 वही युवा पीढ़ी राष्ट्र की रीढ़ है जो सुसंगठित, अनुशासित, चरित्रवान और कार्य कुशल है। 20 मैदान में आए बिना रण की बातें करने से कभी कोई दिग्विजयी नहीं बन जाता है। 21 समाज में वीरों को उनके कार्य कौशल, तत्वज्ञान, पराक्रम और कर्तव्य परायणता से जाना जाता है। 22 वास्तव में वीरों की परीक्षा रणक्षेत्र, ज्ञानक्षेत्र, कार्यक्षेत्र और धर्मक्षेत्र में होती है। 23 गीदड़ों के झुण्ड में शेर की दहाड़ अलग ही सुनाई देती है। 24 मानव समाज सदैव वीरों की पूजा करता है, कायरों की नहीं। 25 कर्मवीर अपने कर्म से, ज्ञानवीर ज्ञान से, रणवीर पराक्रम से और धर्मवीर कर्तव्य पालन करके आसामाजिक तत्वों का मुंहतोड़ उत्तर देते हैं। 26 सच्चे रणवीर, कर्मवीर, धर्मवीर और ज्ञानवीर – शब्द, रूप, रस गंध और स्पर्ष रूपी कांटों को पैरों तले रौंद कर मात्र उच्च लक्ष्य प्राप्त करते हैं। 27 संकट या अफवाहों के रहते वीर घबराते नहीं हैं बल्कि संगठित रहकर उनका डटकर सामना करते हैं। 28 ज्ञान, विवेक और वैराग्य से सुसज्जित वीर राष्ट्र, राज्य, क्षेत्र, समाज और जन साधारण की रक्षा एवं सुरक्षा करने में समर्थ होते हैं। 29 आत्म-हत्या कायर करते हैं, वीर नहीं। 30 सच्चे वीरों का गर्म खून और शीतल मस्तिष्क सदैव सर्वहितकारी और धार्मिक कार्यो में सक्रिय और तत्पर रहता है। 31 राष्ट्रहित में – सच्चे वीर रणक्षेत्र में अपना रण-कौशल दिखाते हुए दिग्विजयी होते हैं या फिर युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त करते हैं। 32 सच्चे वीर स्वतन्त्रता पूर्वक धरती का सुख भोगते हेैे जबकि कायर पराधीन हो कर दुख प्राप्त करते हैं। 33 दुश्मन को कमजोर समझने वाला वीर अपनी कमजोरी के कारण जल्दी परास्त हो जाता है। 34 संकट या अफवाहों में राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की वास्तविक परख होती है। 35 लोगों का शांत और मर्यादित जुलूस सोए हुए प्रशासन को जगाने का अचूक रामबाण है। 36 स्पष्ट रूप से परिभाषित किए हुए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनुशासित जनांदोलन के प्रयास से लोगों को अपने उद्देष्य में सफलता अवश्य मिलती है। 37 राष्ट्र, राज्य, क्षेत्र, समाज, परिवार और जनहित की सद्भावना से प्रेरित बातों के समक्ष अलगाव की भावना निष्प्राण होती है। 38 राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता प्रदर्शित करने वाले नारों से जनता में देश प्रेम की उर्जा का संचार होता है। 39 गाय का दूध, ब्राह्मण हितोपदेश, गीता ज्ञान और शुद्ध पर्यावरण का प्रभाव सदैव सर्वहितकारी होता है। 40 राष्ट्रीय सुख-समृद्धि की रक्षा हेतु समाज विरोधी अधर्म, दुराचार, असत्य और अन्याय के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने वाला प्रशासन सर्वहितकारी होता है।