2 मार्च 2008 दैनिक जागरण का प्रकाशित समाचार। ”गिफ्ट बैन – सरकारी समारोहों मे पाबंदी। 26 फरवरी को जारी पत्र संख्या (जीएडी-ए (ई) 4-1/89-थ्री) के मुताविक मुख्य सचिव की ओर से आदेश – मुख्यमंत्री के मामले में भी लागू होंगे। प्रदेश में सरकारी कार्य क्रमों में शिरकत करने वाले मुख्य अतिथियों को अब कोई गिफ्ट नहीं मिलेगा।“ इसके अनुसार सरकारी समारोह में मुख्य अतिथि को मात्र गुलदस्ता या एक फूल प्रदान करके, स्वागत किया जाएगा। यह आदेश सभी प्रशासनिक सचिवों, विभाग प्रमुखों, उपायुक्तों, बोर्ड निगमों के अध्यक्षों और सभी मंत्रियों के निजी सचिवों आदि पर लागू होगा। मंच पर बैठने वालों को हिमाचली टोपी और एक शाल गिफ्ट रूप में प्रदान की जाती थी। अब इस पर किए जाने वाले भारी खर्च की बचत होगी।“ मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल की प्रदेश हित में की गई यह उद्घोषणा एक साहसिक, सराहनीय और ऐतिहासिक कदम है। इससे पहले कि यह घोषणा अव्यावहारिक बनकर रह जाए, प्रशासन को स्वयं इसके प्रति सयंम, सतर्कता, समर्पित भाव और दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देना होगा। इनके बिना सार्वजनिक हित, हितकर न रहकर अहितकारी बन जाता है जिससे जन साधारण बेरोजगार, निर्धन और दुखी ही नहीं होता है अपितु वह मजबूर होकर हिंसा का भी दामन पकड़ लेता है। विश्व में अपराधी, हिंसक वर्गों के उद्गम और उनके द्वारा समय-समय पर की जाने वाली वारदातें इसी का परिणाम रही हैं। इनके पीछे कहीं न कहीं सरकारी उपेक्षाएं होती रही हैं और तभी नक्सलवाद ओर उग्रवाद जैसे अपराधिक और हिंसक वर्गों की विश्व में वृद्धि हुई है। हमें पुर्ण आशा है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार सर्वाेदय कार्यक्रम को बढ़ावा देगी जिसकी प्रेरणा से पड़ोस के अन्य प्रदेशों की सरकारें भी प्रेरित होंगी और उनके साथ योगदान अवश्य करेंगी। स्मरण रहे कि किसी राज्य सरकार को मिलने वाली सफलता उस राज्य की जनता के द्वारा मिलने वाले सहयोग, विश्वास और त्याग से ही प्राप्त होती है। अगर वर्तमान सरकार राज्य की जनता को अपने साथ लेकर इस प्रकार के अन्य प्रयास करके उन्हें जारी रखती है तो निःसदेह वह दिन दूर नहीं कि सर्वोदय की मंजिल हमारे सम्मुख होगी जिससे एक दिन सबका भला अवश्य होगा।