दैनिक जागरण 9 मई 2007
आग से खेल रहा क्यों?
वह राख बनाया करती है
ईर्ष्या से भी प्रेम कर रहा
हंसते को रुलाया करती है
घृणा कर नीच विचारों से
मगर इन्सान से नहीं
करके ईर्ष्या घृणा इन्सान से
रह सकता तू सुख शांति से नहीं
चेतन कौशल "नूरपुरी"
मानवता सेवा की गतिविधियाँ