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दैनिक जागरण 27 मई 2007 

कोई चिंगारी शोला नहीं बन सकती
ऐसा उसमें दम नहीं
शोला चिंगारी से बनता है
पर चिंगारी शोले से नहीं
तिल भर चिंगारी में इतना दम है
पल भर में उससे शोला बन जाता है
शोला तो दहकता अंगारा है
उससे सब कुछ राख हो जाता है
सीने में जिसके आग दवी हो
दवा ही उसको रहने दो
पंखा न उसे करना कभी
कहीं शोला न बन जाए वो


चेतन कौशल "नूरपुरी"