मानवता सेवा की गतिविधियाँ

जयशंकर प्रसाद

Author Image

विचारकों के कथन :-

पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं।, उसमें मदिरा नहीं, शीतल जल की धारा बहती है।
- जयशंकर प्रसाद