20. फ़रवरी 2016 शरतचंद्र चट्टोपाध्याय विचारकों के कथन :-जो शक्षा मनुष्य को संकीर्ण और स्वार्थी बना देती है, उसका मूल्य किसी युग में चाहे जो रहा हो, अब नहीं है।- शरतचंद्र चट्टोपाध्याय