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# जिस तरह प्राणदाता पीपल का पेड़ दिन-रात प्राणवायु का विसर्जन करके प्राणियों के प्राणों की रक्षा करता है, ठीक इसी तरह अगर मनुष्य अहंकार पर विजय पाने के लिए देव प्रवृत्ति का सृजन करे तो वह दानव प्रवृत्ति पर भारी पड़ सकता है।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"