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विचारकों के कथन :-

व्यक्ति को हानि, पीड़ा और चिंताएं, उसकी किसी आंतरिक दुर्बलता के कारण होती है। उस दुर्बलता को दूर करके कामयाबी मिल सकती है।
- स्वामी राम तीर्थ