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इन्सान हूं मैं
भेड़िए की खाल पहने हुए हूं, क्यों?
बातें धर्म की करता हूं, मैं
लहु बे गुनाहों का बहाता हूं, क्यों?
करता हूं धर्म नाम पर हिंसा
धर्म और पशुता में अन्तर रहा क्या
मैं इन्सान कहलाता हूं
बन गया पशु, अर्थ रहा क्या?
हिंसा तो है धर्म पशु का
सबको मरने की राह दिखाई है
हिंसा न कर वास्ता धर्म का
चेतन बात तेरी समझ आई है क्या?


चेतन कौशल "नूरपुरी"