Author Image

भारत वर्ष विभिन्न – वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर ऋतुओं का देश है l वर्षा ऋतु के अंत में जैसे ही शरद ऋतु का आरम्भ होता है उसके साथ ही नवरात्रि – दुर्गा पूजन और राम लीला मंचन भी एक साथ आरम्भ हो जाते हैं l दुर्गा पूजन एवं राम लीला मंचन का नववें दिन समाप्त हो जाने के पश्चात्, दसवें दिन विजय दसवीं को दशहरा मनाया जाता है l भारतीय परंपरा के अनुसार विजय दसवीं का पर्व लंकापति रावण (बुराई) पर भगवान श्रीराम (अच्छाई) के द्वारा विजय का प्रतीक माना जाता है l यह पर्व श्रीराम का रावण पर विजय पाने के पश्चात् अयोध्या आगमन की ख़ुशी में उनका हर घर में दीपमाला जलाकर स्वागत किया जाता है l 

धर्म परायण, ईश्वर भक्त और अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव जागरूक रहने वाला मनुष्य अपने जीवन में दीपावली को सार्थक कर सकता है l

सार्थक दीपावली

नगर देखो ! सबने दीप जलाये हैं

द्वार-द्वार पर, घर आने की तेरी ख़ुशी में मेरे राम !

अँधेरा मिटाने, मेरे राम !

आशा और तृष्णा ने घेरा है मुझको]

स्वार्थ और घृणा ने दबोचा है मुझको,

सीता को मुक्ति दिलाने वाले राम !

विकारों की पाश काटने वाले राम !

दीप बनकर मैं जलना चाहुँ,

दीप तो तुम प्रकाशित करोगे, मेरे राम !

अँधेरा खुद व खुद दूर हो जायेगा,

हृदय दीप जला दो मेरे राम !

सार्थक दीपावली हो मेरे मन की,

घर-घर ऐसे दीप जलें, मेरे राम !

रहे न कोई अँधेरे में संगी – साथी,

दुनियां में सबके हो तुम उजागर, मेरे राम !

सामाजिक चेतना – 5

प्रकाशित अक्तूबर 2019 मातृवन्दना