पर्यावरण चेतना - 5
अक्सर दूसरों को हम साफ -सफाई का उपदेश देते हैं पर स्वयं उस पर कम अमल करते हैं l अपना घर साफ़ - सुथरा रखकर घर का सारा कूड़ा -कचरा ऐसी जगह फैंक देते हैं जो सार्वजनिक होती है l इसी तरह मनुष्य किसी पेयजल स्रोत या देवालय को दूषित करने से भी नहीं हिचकचाता है l देखने में आता है कि जहां से लोगों को पेयजल की आपूर्ति की जाती है उस जगह गंदगी फैली रहती है l ऐसे में गंदा व दूषित पानी पीने से अनेकों बीमारियाँ फैलने का खतरा बना रहता है l
सुल्याली गाँव में स्थित डिह्बकेश्वर महादेव मंदिर के साथ लगता कंगरनाला पर बने प्राकृतिक जल स्रोत के चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है l जहाँ से पाइप द्वारा पेयजल का पास ही में जल भंडारण किया जाता है l वह कंगर नाला का एक छोर है l जब कि जल वितरण व्यवस्था के लिए दूसरी ओर जल भंडारण किया जाता है l यह जल न केवल सुल्याली गाँव की जल आपूर्ति करता है बल्कि उसके आस - पास के कई क्षेत्रों जैसे नेरा, लोहारपूरा, बारड़ी, बलारा, हटली, सोहड़ा और देव भराड़ी आदि को भी जल उपलब्ध करवाता है l
दुखद है कि कंगर नाला में स्थानीय लोग खुला शौच करते हैं जिससे कंगर नाला में स्थित पेय जल भंडार की शुद्धता और डिह्बकेश्वर महादेव मंदिर की पवित्रता अनवरत नष्ट हो रही है l हिमाचल सरकार द्वारा राज्य के हर गाँव में निर्धन परिवारों का ध्यान रखकर एक - एक शौचालय बनवाने में आर्थिक सहायता दी जाती है और बनवाये भी हैं फिर भी न जाने क्यों ? लोग खुला शौच करना अधिक पसंद करते हैं l
सुल्याली गाँव से एक किलोमीटर की दूरी पर बने कंगर नाला पुल से नीचे पेय जल स्रोत तक हमें ऐसे ही गंदगी देखने को मिल जाएगी जो जल प्रदूषण के साथ - साथ डिह्बकेश्वर महादेव मंदिर के लिए शुभ संकेत नहीं है l
आज डिह्बकेश्वर महादेव मंदिर एक दर्शनीय मंदिर परिसर बन चुका है l यहाँ दूर - दूर से लोग दर्शन हेतु आते हैं और धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है l अगर समाज के जागरूक स्थानीय लोग इस ओर ध्यान दें, इसे रोकने का प्रयत्न करें तो तभी पेयजल स्रोत साफ सुथरे रह सकते हैं l
प्रकाशित16 मार्च 2008 दैनिक जागरण