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चेतन आत्मोवाच 7 :-

मेहमान न बन तू किसीका, रोजाना न कर तू आना जाना l

मेहमान तू रहेगा नहीं, मनः बहुतों ने तो कुत्ता माना ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"