2 अगस्त 2009 कश्मीर टाइम्स
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में,
मानव ही प्रदूषण फैलाता है,
जगह-जगह ढेर लगाता है गंदगी के,
पास से नहीं निकला जाता है,
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
पॉलिथीन लिफाफे, प्लास्टिक सामान बनाती हैं फैक्ट्रियां,
बांधकर गांठे शहर-शहर पहुंचाती हैं फैक्ट्रियां,
शहरी प्रदुषण फैले तो फैले, उन्हें क्या?
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
अच्छा होता, अगर इनका प्रचलन न होता,
पॉलिथीन, प्लास्टिक सामान का कहीं निशान न होता,
हर कोई स्वस्थ होता, अगर मुफ्त प्रदूषण न होता,
कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
चेतन कौशल "नूरपुरी"