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चेतन आत्मोवाच 12 :-

फूल मुरझा जाते हैं, सदा कलि भी कलि रहती नहीं l

घाव भर जाते हैं, पर मनः बात कड़वी मिटती नहीं ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"