दैनिक जागरण 2 मार्च 2007
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सबका कष्ट हरता चल
कभी खो देना न ध्येय
किसी से खाना न भय
पानी है मंजिल आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
सहारा मिले तो ले लेना तू
न मिले कदम बढ़ाना तू
निर्भय प्रतिपल आगे बढ़ता चल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
मंजिल सामने एक दिन आएगी
घड़ी इंतजार की खत्म हो जाएगी
सफलता मिलेगी आज नहीं तो कल
प्रेम पुजारी बढ़ता चल
चेतन कौशल "नूरपुरी"