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दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007

उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
दुखियारी भारत मां पुकार रही
आजादी दुख से कराह रही
दासता से मुक्त हुई है भारत माता
कुरीतियों में है उसे फंसाया जाता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
होना था न केवल हमनें आजाद
प्रेम त्यागभाव भी हमनें करना था आवाद
पगपग पर नंगा न कोई होता
भूखा पदपथ पर न कहीं कोई सोता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
संभव हर वस्तु यहां उत्पन्न होती
हर जरूरतमंद की उस तक पहुंच होती
कोई न कहीं देखता स्वार्थपरता को
हटा दो यहां की अब हर विवषता को
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो


चेतन कौशल "नूरपुरी"